Category: Hindi/Urdu

अहम् के बहाने?

कोई कला का कैदी तोह कोई कृत्य का बिच में उलझेलूल हम क्षणिक सुख की झलक क्या मिल गयी तलब पे उतर आये हम   सोचा था कि अपने बारे में कभी न बोलेंगे, पर क्या करें अल्फाज़ मुलाज़िम जो ठहरे सुर्ख आँसुओं के दबी हुयी दुखों की बुनियाद पे जिंदगी खड़ी तोह नहीं की…

ख़ामोशी-ए-लब

  ए फ़क़ीर, तू अपनी सुना अंजाम-ए-कहानी होठों पे ला   तू भी था ख़ौफ़ों और शकों की बेचैनियों में बंधा? या… सहसा, दुआओं की ऐसी भीड़ लगी

नारी

सदा एक काया मात्र । तुफानी बादलो को बाहो में समेटे बंदर को तकती बिस्मित अस्थिर । असहाय प्रकृती की चीरंतन चींख जैसे अपने लहू में लिये चलती, सम्भलति- सम्भालती थक जाती ।   क्षणिक स्त्ता से परिचित । गलते लोहे की बूंद में तैरती एक तरनी ओस की पहली अंकुरित पंखुरि में दिया जलाये…